तिरुपति बालाजी मंदिर: दुनिया का सबसे अमीर मंदिर

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तिरुपति बालाजी: दुनिया का सबसे अमीर मंदिर

अभी हाल में हुए एक सर्वे के अनुसार तिरुपति बालाजी मंदिर, जो भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के तिरुमला नगर में स्थित है, एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जो दुनिया भर में अपनी महत्ता के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर हिन्दू धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और विश्व में सबसे अमीर मंदिर के रूप में मान्यता प्राप्त है।

तिरुपति बालाजी मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ था और यह वर्तमान में दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे धनी मंदिरों में से एक है। इस मंदिर को लगभग 50,000 करोड़ रुपये की मान्यता है, जो इसे दुनिया के सबसे अमीर मंदिर बनाता है।

तिरुपति बालाजी मंदिर को विश्व में अपनी अद्वितीय संपत्ति के लिए पहचाना जाता है। यहां प्रतिदिन हजारों भक्त आते हैं और भगवान वेंकटेश्वर की आराधना करते हैं। इस मंदिर में विशेष पूजा और अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है और यहां भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक आनंद का अनुभव करने का अवसर मिलता है।

तिरुपति बालाजी मंदिर की शृंगार विधियों की अनूठी परंपरा है और यहां की प्रतिमा को रोज़ाना अलग-अलग वस्त्रों से भोग लगाए जाते हैं। इसके अलावा, यहां की अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में शामिल होना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

समय के साथ, तिरुपति बालाजी मंदिर ने अपनी महत्ता और धार्मिक महिमा को बढ़ाया है और आज यह विश्व के धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। यहां आने वाले भक्तों के लिए यह एक आध्यात्मिक और मनोरंजन का संगम स्थल है।

तिरुपति बाला मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा अलौकिक है। यह विशेष पत्थर से बनी है। यह प्रतिमा इतनी जीवंत है कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे भगवान विष्णु स्वयं यहां विराजमान हैं। भगवान की प्रतिमा को पसीना आता है, पसीने की बूंदें देखी जा सकती हैं। इसलिए मंदिर में तापमान कम रखा जाता है। 

श्री वेंकेटेश्वर स्वामी के मंदिर से 23 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव है जहां गांव वालों के अलावा कोई बाहरी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता। इस गांव लोग बहुत ही अनुशासित हैं और नियमों का पालन कर जीवन व्यतीत करते हैं। मंदिर में चढ़ाया जाने वाला पदार्थ जैसे की फूल, फल, दही, घी, दूध, मक्खन आदि इसी गांव से आते हैं। 
भगवान वेंकेटेश्वर की प्रतिमा पर पचाई कपूर लगाया जाता है। कहा जाता है कि यह कपूर किसी भी पत्थर पर लगाया जाता है तो पत्थर में कुछ समय में दरारें पड़ जाती हैं। लेकिन भगवान बालाजी की प्रतिमा पर पचाई कपूर का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। 

मंदिर में मुख्य द्वार के दरवाजे पर दाईं तरफ एक छड़ी है। इस छड़ी के बारे में मान्यता है कि बाल्यावस्था में इस छड़ी से ही भगवान वेंकेटेश्वर की पिटाई की गई थी जिसकी वजह से उनकी ठुड्डी पर चोट लग गई थी। तब से आज तक उनकी ठुड्डी पर शुक्रवार को चंदन का लेप लगाया जाता है। ताकि उनका घाव भर जाए।

भगवान वेंकेटेश्वर की मूर्ति पर कान लगाकर सुनें तो समुद्र की लहरों की ध्वनि सुनाई देती है। यह भी कहा जाता है कि भगवान की प्रतिमा हमेशा नम रहती है। 
गुरुवार को भगवान वेंकेटेश्वर को चंदन का लेप लगाया जाता है जिसके बाद अद्भुत रहस्य सामने आता है। भगवान का श्रृंगार हटाकर स्नान कराकर चंदन का लेप लगाया जाता है और जब इस लेप को हटाया जाता है तो भगवान वेंकेटेश्वर के हृदय में माता लक्ष्मी जी की आकृति दिखाई देती है। 

श्री वेंकेटेश्वर स्वामी मंदिर में एक दीया हमेशा जलता रहता है और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस दीपक में कभी भी तेल या घी नहीं डाला जाता। यहां तक कि यह भी पता नहीं है कि दीपक को सबसे पहले किसने और कब प्रज्वलित किया था। 
 

 

 

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